ख़्वाहिशो ने मेरी खुदखुशी कर ली। तुने जब से बेरुखी कर ली। चाहत भी अब ना कोई किसी से खुद से ही हमने दुश्मनी कर ली। दुआएं बेअसर खाली हाथ रह गये नाजुक सा फुल वो मेरे हदय का तोड़ लिया जला कर सपनो का संसार मिटाकर प्रेम के अहसास मुझे क्यों छोड़ दिया अर्ज़-ए-अहवाल को मेरे कोई क्या समझे वो ही छोड़ गये हमें जो थे अजीज हमें उनके लिए पल-पल तरसे कहानी अधुरी है ये एक रोज तो पूरी होगी जज्ब- ए- इश्क की तलब हम भी तो देखे अगर हम भी किरदार अपना निभाते बिन कहे तेरे समझ जाते तो शायद आज तुमसे यू दूर ना होते मौत की सजा सुनाता क्यूँ नहीं ज़िन्दगी का किस्सा मिटाता क्यूँ नहीं कसूरवार हुँ जो लगता तुझे है किश्तों पर ज़िन्दगी जीने की सजा देता ही क्यों है एक झटके में मुझको उठाता क्यूँ नहीं जिस्म को रूह से मिल जाने दे। तेरे पास आने दे। टुटे सपने, मन विचलित मांगे तेरा साथ हाथ में तेरा हाथ आने दे। गले फिर से लगाने दे। दुःख की हो रही बरसात कुछ लम्हो के लिए सूख जाने दे। मन मेरा वशीभूत तुम्हारे हर पल उजड़ा हर...