हम और तुम

साया हुँ जैसे मैं भी तुम्हारा
अपना भी कोई वजूद अब लगाता नही
   
जैसे हम और तुम एक ही है...
विचार कितने ही मिल जाते है तुमसे 
कहते हो वो जो हम सोचते है 
बिन बोले ही हम फिर रह जाते  है...
लगता तब भी जैसे हम और तुम एक ही  है। 

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